मित्र को संवेदना पत्र
ए-26/15, शालीमार बाग
दिल्ली
दिनांक : 15-6-20XX
तुम्हारे पूज्य पिताजी की एक कार-दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु का समाचार सुनकर हृदय में असीम पीड़ा हुई। कुछ क्षणों के लिए इस समाचार पर विश्वास नहीं हुआ। पिछले सप्ताह ही तो मुझे उनसे मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था। वे मुझे भी अपना ही पुत्र मानते थे। उनका वह मुस्कान से भरा मुखमण्डल आज भी मेरी आँखों के समक्ष विद्यमान है। मित्र! ईश्वर की लीला भी बहुत विचित्र है। इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है। उसकी आज्ञा के सम्मुख हमें अपना सिर झुकाना ही पड़ता है। मृत्यु पर किसी का भी वश नहीं चलता, मैं जानता हूँ कि तुम्हारे ऊपर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है, पर धैर्य धारण करने के अतिरिक्त कोई अन्य उपाय भी तो नहीं है। तुम तो स्वयं बुद्धिमान एवं धैर्यशील हो। तुम्हें धैर्य धारण करने के साथ ही घर के अन्य सदस्यों को भी धैर्य बँधाना चाहिए। मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूँ कि वह तुम्हें और तुम्हारे परिवार को इस आकस्मिक आघात को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
तुम्हारा मित्र
अरुण
सेवा में,
प्रधान संपादक,
नवभारत टाइम्स,
आई. टी. ओ., दिल्ली।
दिनांक- 20 फरवरी 20XX
विषय- बस चालकों की असावधानी के कारण हो रही दुर्घटनाओं पर चिन्ता व्यक्त करते हुए पत्र।
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार-पत्र के माध्यम से सरकार और आम जनता का ध्यान
बस चालकों की बढ़ती लापरवाही और असावधानी की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ ताकि
इस समस्या से छुटकारा पाने के सुदृढ़ उपाय किए जा सकें। बस चालक चाहे सरकारी नौकरी
में कार्यरत हों या निजी क्षेत्र में काम करते हों, बसों को निर्धारित गति-सीमा से अधिक
तेज चलाते है ताकि वे अपने गंतव्य पर समय से पहले ही पहुँच जाएँ। अधिक-से अधिक
सवारियों को अपनी बस में बैठाने की होड़ में में असावधानी बरतते हैं।
इसी जल्दबाजी और सवारियों को चढ़ाने की आपा-धापी में कितने यात्री बस से गिरते-पड़ते उतरते हैं और भाग-दौड़ में ही बस में चढ़ते है। बुजुर्ग और दिव्यांग यात्रियों को दुर्घटनाग्रस्त भी होना पड़ता है। कितनी बार तेज बस चलाने के कारण वे लाल-बत्ती भी पार कर जाते हैं जिससे सड़क दुर्घटनाएँ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। आम आदमी को इन सभी कारणों से परेशानी झेलने पड़ रही है।
जनता के सब्र का बाँध टूटने से पहले, इन सभी को कड़ी से चेतवानी दी जानी चाहिए,
अन्यथा स्थिति बेकाबू हो जाएगी।
सधन्यवाद!
भवदीया,
अंजलि गुप्ता (सचिव),
पीतमपुरा समाज सुधार कार्यालय,
दिल्ली।
47, अशोक नगर
बरेली
सेवा में,
अधीक्षक,
मुख्य डाकघर, बरेली
दिनांक- 25 मार्च, 20XX
विषय- मनीआर्डर की प्राप्ति नहीं होने पर कार्यवाही हेतु पत्र
महोदय,
मैं बरेली का रहने वाला हूँ। मेरे घर से मेरे पिताजी ने दिनांक 3 मार्च, 20XX को
1000 रुपये का मनीआर्डर (रसीद संख्या XXXX) किया था, परन्तु अभी तक यह
मनीआर्डर मुझे प्राप्त नहीं हुआ है। इस विषय में मैंने अपने क्षेत्र के पोस्ट आफिस के
स्टाफ से संपर्क किया। परन्तु उनका कहना है कि उनको इसकी कोई जानकारी नहीं है।
हमारा परिवार बहुत गरीब है और पिताजी दिहाड़ी की मजदूरी मेहनत करके मुझे पैसे भेजते हैं।
आपसे निवेदन है कि इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएं और जल्द से जल्द मुझे
मनीआर्डर वाले पैसे दिलवाएं।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप मेरी इस समस्या पर ध्यान देते हुए, उचित कार्यवाही करेंगे।
मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद सहित
भवदीय
अ.ब.स.
9856XXXXXX
परीक्षा भवन
नई दिल्ली।
दिनांक : 20 जनवरी 20XX
सेवा में,
प्रबंधक नेशनल बुक ट्रस्ट
मुख्य डाकघर
नई दिल्ली।
विषय- पुस्तक मंगाने हेतु प्रार्थना-पत्र
महोदय,
हमने छोटे बच्चों के लिए एक वाचनालय की शुरुआत की है, जिसमें छोटी-छोटी कहानियों का संग्रह,
नेताओं की जीवनी, रामायण व महाभारत संबंधित पुस्तकों का संकलन होगा। मुझे
निम्नलिखित दस पुस्तकें शीघ्र भिजवा दें और यहाँ प्रकाशित बच्चों संबंधित किताबों की
एक सूची भी भिजवा दें। इस आर्डर की पुस्तकों की कीमत की अग्रिम राशि 1,000 रुपये
का बैंक ड्राफ्ट नं XXXXX दिनांक 20 जनवरी, 20XX बैंक ग्रामीण आर्यावर्त बैंक इस
पत्र के साथ भेज रहा हूँ। पुस्तकें भेजते हुए पहले यह सुनिश्चित कर लीजिएगा कि
पुस्तकें अंदर से या बाहर से कटी-फटी न हों और प्रत्येक पुस्तक कवर चढ़ी हुई हो।
आपसे करबद्ध अनुरोध है कि सारी पुस्तकें बच्चों के वाचनालय हेतु है अतः हमारे द्वारा माँगी हुई सभी किताबों, पत्र-पत्रिकाओं पर यथासम्भव ''छूट'' दें।
आपसे विनम्र निवेदन है जितना शीघ्र हो सके, निम्न पुस्तकों की 5-5 प्रतियाँ भिजवा दें :
1. मन्दाकिनी
2. अमन, प्रेम व आजादी
3. चम्पक
4. चन्द्रक्रान्ता
5. नन्दन
6. पंचतन्त्र की कहानियाँ
7. बच्चों की जातक कथाएँ
8 जंगल बुक
9. सिंहासन बत्तीसी
10. हितोपदेश
धन्यवाद!
भवदीय
सचिव, वाचनालय
मनीआर्डर भेजने का पता-
ईशान्त चावला
नई दिल्ली।
अ.ब.स
94, साबरमती गार्डन
अहमदाबाद।
सेवा में,
रेल प्रबंधक
वाराणसी कैन्ट रेलवे स्टेशन
वाराणसी
दिनांक- 25 मार्च, 20XX
विषय- सामान न पहुंचने का शिकायती पत्र।
महोदय,
मैं एक सरकारी कर्मचारी हूँ और अहमदाबाद से तबादले के बाद वाराणसी आया हूँ।
मैंने अपना ज्यादातर घरेलू सामान लकड़ियों और स्टील के बक्सों में अहमदाबाद रेलवे
स्टेशन पर वाराणसी कैन्ट स्टेशन के लिए बुक किया था। रेलवे की बुकिंग रसीद संख्या
XXXX दिनांक 25 फरवरी, 20XX है। क्योंकि घरेलू सामान अभी तक यहाँ वाराणसी
नहीं पहुँचा है, मैंने पार्सल घर और स्टेशन मास्टर से सम्पर्क किया, परन्तु वे कोई
सन्तोषजनक उत्तर नहीं दे पा रहे हैं। रेलवे की पार्सल ट्रैकिंग की इन्टरनेट सेवा भी
काम नहीं कर रही है। क्योंकि सामान घरेलू है इसलिए हमें काफी दिक्कतों का सामना
करना पड़ रहा है। आपसे अनुरोध है कि हमारा घरेलू सामान जल्द से जल्द वाराणसी
स्टेशन पर मँगवाया जाए और हमें हमारा सामान दिया जाए।
अग्रिम धन्यवाद
भवदीय
अ.ब.स
9568XXXXX
सेवा में,
प्रबंधक
दिल्ली मैट्रो, नई दिल्ली
दिनांक : 25 जनवरी, 20XX
विषय : मेट्रो में छूटे सामान का वापस मिलना।
महोदय,
कल दिनांक 24 जनवरी, 20XX को मैंने द्वारका सेक्टर-9 से राजीव चौक तक की
यात्रा मेट्रो से की थी। जल्दीबाजी में उतरते समय मेरा बैग मेट्रो में ही छूट गया। मुझे
अपने आफिस पहुँचकर अपनी गलती का पता चला।
मेरे सुखद आश्चर्य की सीमा न रही जब मेट्रो के एक कर्मचारी श्री दीपक सिन्हा
ने मुझे फोन पर बुलाया कि मेरा बैग राजीव चौक मेट्रो के आफिस में है और
मैं अपना सामान ले जा सकता हूँ। उनका व्यवहार बहुत सुखद और प्रशंसनीय है।
मैं उनके प्रति कृतज्ञ हूँ क्योंकि मेरे बैग में मेरे आफिस के कई कागजात आदि रखे थे।
मैं चाहता हूँ कि ऐसे ईमानदार श्री दीपक सिन्हा को प्रमाण पत्र सहित सम्मानित करना
चाहिए जिससे कि दूसरे कर्मचारी भी ईमानदारी का पाठ सीख सकें।
सधन्यवाद
भवदीय
(नाम, पता, फोन नम्बर)
सेवा में,
अध्यक्ष,
पंजाब राज्य परिवहन निगम,
अम्बाला।
दिनांक- बस में छूटे बैग का वापस मिलना।
महोदय,
कल दिनांक 24 फरवरी 20XX को मैंने दिल्ली में कार्य समाप्ति पर अम्बाला के लिए दिल्ली
बस स्टैण्ड से वातानुकूलित (एयर कंडीशनिंग) बस पकड़ी थी। सफ़र पूर्ण होने पर मैं
बस से उतर कर अम्बाला चला गया।
मेरे सुखद आश्चर्य की तब सीमा नहीं रही जब दो घंटे पश्चात बस के कंडक्टर श्री रामनाथ
चौधरी मेरे घर का पता पूछते हुए मेरे बैग के साथ मेरे घर पहुँच गये। तब मुझे अहसास हुआ
कि बस से उतरते हुए मैं अपना बैग बस में भूल गया था, जिसमें कई जरूरी कागज, कुछ
रुपये और भारत सरकार द्वारा जारी आधार कार्ड था। उसी पर मेरे घर का पता लिखा हुआ था।
मुझे कंडक्टर का व्यवहार बहुत सराहनीय और प्रशंसनीय लगा। मैं उसकी ईमानदारी के
प्रति कृतज्ञ हूँ। मैं चाहता हूँ कि इस तरह के ईमानदार कर्मचारियों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए,
जिससे दूसरे कर्मचारी भी ईमानदारी का पाठ सीख सकें।
सधन्यवाद और श्री रामनाथ चौधरी का पुनःआभार।
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय,
नवीन भारती पब्लिक स्कूल,
सरोजनी नगर, नई दिल्ली।
दिनांक : 5 फरवरी, 20XX
विषय- आदर्श कक्षा के सम्बन्ध में सुझाव हेतु।
महोदय,
मैं आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं अपनी कक्षा को एक आदर्श कक्षा के
रूप में देखना चाहता हूँ। इसके लिए मैं आपके सम्मुख कुछ सुझाव प्रस्तुत करना चाहता हूँ।
आदर्श कक्षा आदर्श विद्यार्थियों से बनती है। अतः ज्ञान को प्राप्त करके ही विद्यार्थी आदर्श
विद्यार्थी बन सकता है।
यह विद्या ही है जो मनुष्य को नम्र, सहनशील और गुणवान बनाती है। यदि अध्यापक
प्रत्येक छात्र को पढ़ाई हेतु प्रेरित करें तथा उनके लिए उचित समय सारणी तैयार करें तो
भविष्य में प्रत्येक छात्र उन्नति कर सकेगा। पढ़ाई के साथ उन्हें नैतिक शिक्षा भी प्रदान
की जाएजिससे वे अच्छाई और बुराई के बीच अंतर कर सकें। जो छात्र पढ़ाई में अच्छा
प्रदर्शन करे एवं आदर्श विद्यार्थी बनकर दिखाए, उसे पुरस्कृत किया जाना चाहिए ताकि
कक्षा के अन्य विद्यार्थी भी उससे प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सफलता की ओर
अग्रसर कर पाएं। विद्यार्थियों को अनुशासित किया जाए, कक्षा में साफ-सफाई के
लिए प्रेरित किया जाए और समय के महत्व के विषय में जानकारी दी जाए। इस
प्रकार की पहल और प्रयास द्वारा हमारी कक्षा एक आदर्श कक्षा बन जाएगी। अतः
आपसे विनम्र निवेदन है कि आप मेरे सुझावों पर अवश्य विचार करें।
सधन्यवाद!
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क.ख.ग
कक्षा दसवीं 'ब'
67- ए, मोहन नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक 10 जुलाई, 20XX
पूजनीय दादा जी,
सादर चरण स्पर्श।
आशा करती हूँ कि आप स्वस्थ होंगी। आपके द्वारा जो प्रदर्शनी लगाई गई थी, वो मुझे बहुत पसन्द आई है। आपने
जिन चित्रों का प्रयोग प्रदर्शनी में किया था, वे बहुत ही आकर्षक एवं मनमोहक थे। दर्शकों द्वारा उनकी बहुत प्रशंसा
की गयी थी। परिवार के सभी सदस्यों द्वारा भी उसकी सराहना की गई।
सभी लोगों ने आपकी प्रदर्शनी के सफल आयोजन के लिए आपको बधाई दी है। साथ ही ईश्वर से प्रार्थना करते है कि ऐसे ही आपका भविष्य और उज्ज्वल हो।
आपको तथा अन्य सभी को मेरा सादर चरण स्पर्श।
आपकी प्यारी पोती
अनीता
सेवा में,
जिला शिक्षा अधिकारी,
जोधपुर, (राज)।
दिनांक 5 जुलाई, 20XX
विषय- प्राथमिक शिक्षक के पद के लिए आवेदन-पत्र।
मान्यवर,
रोजगार समाचार दिनांक 16/4/ 2017 के माध्यम से यह ज्ञात हुआ कि आपके अधीन प्राथमिक शिक्षकों के कुछ
स्थान रिक्त हैं तथा उनके लिए आवेदन-पत्र आमन्त्रित किए गए है। मैं भी इसी पद के लिए अपना आवेदन-पत्र आपकी
सेवा में प्रस्तुत कर रही हूँ। मेरी शैक्षणिक योग्यताएँ अनुभव तथा अन्य विवरण निम्नलिखित है।
मैंने जोधपुर विश्वविद्यालय में स्नातक की उपाधि द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की है।
मैंने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से 1997 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा भी द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण की है।
मैंने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से ही वर्ष 1995 में हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है।
मैंने राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र जोधपुर (राज) से बेसिक टीचर कोर्स वर्ष 2002 में सफलतापूर्वक पूरा किया है।
(STC) इस परीक्षा में भी अच्छे अंक प्राप्त किए।
मैं जुलाई 2008 से डी.ए.वी. हायर सैकेण्डरी स्कूल, जोधपुर में प्राथमिक शिक्षिका के पद पर कार्यरत हूँ।
मैंने अपने विद्यार्थी जीवन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर कई पुरस्कार प्राप्त किए। मैं 36 वर्षीय स्वस्थ महिला हूँ।
आशा है कि आप मुझे सेवा का एक अवसर अवश्य प्रदान करेंगे। मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मैं चयन किये जाने के पश्चात अपने कर्तव्यों को पूर्ण निष्ठा के साथ पालन करूँगी तथा अपने कार्य एवं व्यवहार से अधिकारियों को सदा संतुष्ट रखने का प्रयास करूँगी। आवेदन पत्र के साथ प्रमाण-पत्रों के प्रतिरूप संलग्न है।
धन्यवाद
प्रार्थी
अनीता कुमारी